HANUMAN CHALISA
HANUMAN CHALISA

CHAUPAI 11
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरिष उर लाये ॥ ११॥

आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्रीरघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया ।
CHAUPAI 13
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ॥ १३॥
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श्रीराम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार- मुख से सराहनीय है।
CHAUPAI 15
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते ।। १५ ।।

यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि, विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश को पूरी तरह वर्णन नहीं कर सकते।
CHAUPAI 14
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा ।। १४ ।।

श्रीसनक, श्रीसनातन, श्रीसनन्दन, श्रीसनत्कुमार आदि मुनि, ब्रह्मा आदि देवता, नारदजी, सरस्वतीजी, शेषनागजी-
CHAUPAI 16
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।। १६ ।।

आपने सुग ्रीवजी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया जिसके कारण वे राजा बने।

CHAUPAI 17
तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।। १७ ।।

आपके उपदेश का विभीषण ने पूर्णतः पालन किया, इसी कारण वे लंका के र ाजा बने, इसको सब संसार जानता है।
CHAUPAI 19
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। १९ ।।

आपने श्रीरामचन्द्रजी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को पार किया परन्तु आपके लिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं हैं।
CHAUPAI 21
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।। २१ ।।

श्री रामचन्द्रजी के द्वार के आप रखवाले हैं, जिसमें आपकी आज्ञा के बिना किसी को प्रवेश नहीं मिल सकता। (अर्थात् श्रीराम कृपा पाने के लिए आपको प्रसन्न करना आवश्यक है)।
CHAUPAI 18
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।। १८ ।।
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जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस हजारों युग लगें। उस हजारों योजन की को आपने एक मीठा फल समझकर पर पहुंचने पहुंचने के लिए दूरी पर स्थित सूर्य निगल लिया।
CHAUPAI 20
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। २० ।।

संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम है, वे सभी आपकी कृपा से सहज और सुलभ हो जाते हैं।
CHAUPAI 22
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।२२।।

जो भी आपकी शरण में आते हैं उन सभी को आनन्द एवं सुख प्राप्त होता है और जब आप रक्षक है, तो फिर किसी का डर नहीं रहता।